पूरे देश के 1.62 लाख अस्पतालों के खिलाफ क्रिमिनल केस के आदेश कराये, उन्हें आर्थिक सजा का कानून बनवाया।
हमने विचार किया कि जो इंजेक्शन, जो दवाईयां खतरनाक बीमारी सही कर सकती हैं, कैंसर, टीबी, एड्स जैसे रोग मार सकती हैं, तो उसका वेस्ट किसकी हत्या नहीं कर सकता, मतलब अस्पताली कचरे की दुर्दशा हवा, पानी, मिट्टी, तीनों की हत्या कर सकता है। लिहाजा जांचना चाहा कि जितनी अच्छी या जिस स्पीड की इलाज व्यवस्था है, उसी हिसाब से मेडिकल वेस्ट का ट्रीटमेंट हो रहा या नहीं, मतलब बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण की व्यवस्था अच्छी है या बुरी, इसके अलावा हमारे अफसर, हमारे कानून भी उतने ही स्ट्राॅग हैं या नहीं। इसी समाधान के लिए हम एनजीटी गये। सुनवाई हुयी, मामला इतना गंभीर निकला कि हाईकोर्ट के जजों से जांच करायी गईं, पूरे देश के अस्पतालों में कमी मिलीं। अफसरों के काम में, उनकी निगरानी में इतनी गम्भीर गलतियां मिली, जैसे कानून है ही नहीं।
लिहाजा ऐतिहासिक आदेश हुये, हर अस्पताल से मोटा जुर्माना वसूल करने के रेट डिसाइड हुये, गाइडलाइन बनीं, पूरे देश के कुल 2.72 लाख में 1.62 लाख अस्पताल दोषी मिले, लिहाजा उनसे बीसों हजार करोड़ का जुर्माना वसूल करने और क्रिमिनल केस चलाने के आदेश हुये।