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आधुनिक युग, फिर भी देश में सांस, प्यास, भूख, तीनों मरते देखी जा रही, 9 अच्छे कानून के बाद भी प्रदूषण ने मिट्टी, पानी, हवा, तीनों को अधमरा कर दिया है, 9 तरह के प्रदूषण में कौन कम हत्यारा है, या वो कौन-सा साल है जिसमें 35 लाख से कम मौत देखी जा रहीं। लिहाजा सोचा कि हमारे देश के विचार इतने गरीब कैसे हो सकते हैं, या हम सब इतनी बड़ी चूक क्यों कर रहे हैं, कि विकास और विनाश के बीच अंतर नहीं समझ पा रहे। तो आखिर चूक किधर से है, कानून में कमी है, या अफसर गलती कर रहे, या पर्यावरण की रक्षा के लिए कोई अदालत नहीं है। यही जांचने, हालात सुधारने की उम्मीद से हम एनजीटी गये। कोर्ट ने केस की गंभीरता समझी, ऐतिहासिक फैसला सुनाया, और जो मांगा गया उससे ज्यादा मिला, इसी तरह हमने 66 से ज्यादा केस दाखिल किये, कुछ मामलों में ऐतिहासिक आदेश हुये, कुछ में कानून बने। मगर सभी केस में अफसरों की लापरवाही और फैक्ट्रियों की मनमानी साबित हुयी, लिहाजा पूरे देश के लापरवाह अफसर और डिफाॅल्टर इण्डस्ट्रीज को सिविल, क्रिमिनल, दोनों तरह की सजा के आदेश सुनाये गये।
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